एक ही नीड़

Storymirror Infotech Pvt Ltd
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9788119445189
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ISBN13:
9788119445189
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About the Book: ऋग्वेद के समय से कविता की मज़बूत परम्परा रही है। लेखक व दार्शनिक कुशल कवि होते थे। कविता प्रायः संगीत की परम्पराओं से सम्बन्ध रखती है। रामायण व महाभारत कालजयी महाकाव्य हैं। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार, "केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिये, उसमें उचित उपदेश का मर्म होना चाहिये।" कविता ज्ञानराशि का संचित कोष है। कलम की शक्ति का प्रयोग कर कवि साहित्यकार नए समाज के निर्माण में सहयोग देता है। कुरीतियाँ पर कुठाराघात कर कविता जनमानस को सकारात्मक सोच और लोक कल्याण के कार्यों के लिये प्रेरणा देती है। मानव के उच्चतर भाव कविता में व्यक्त होते हैं जो सभ्यता के विकास में सहायक होते हैं। थोड़े से शब्दों में सटीक बात कह जाती है कविता। महाप्राण निराला ने मुक्त-छन्द की सृष्टि द्वारा अपूर्व अभिव्यंजन परम्परा को प्रतिष्ठा दी है। वर्तमान हिन्दी में नए छन्द को स्वच्छन्द छन्द के नाम से पुकारा जाता है। इस पुस्तक की कविता स्वच्छन्द छन्द की कविता है और जब जैसा भावोद्रेक हुआ है, वैसी बन पड़ी है। हृदय में जब जो भाव आते हैं, वही कविता के रूप में स्वतः प्रस्फुटित हो जाते हैं।


  • | Author: Chandra Prabha
  • | Publisher: Storymirror Infotech Pvt Ltd
  • | Publication Date: Aug 22, 2023
  • | Number of Pages: 180 pages
  • | Binding: Paperback or Softback
  • | ISBN-10: 811944518X
  • | ISBN-13: 9788119445189
Author:
Chandra Prabha
Publisher:
Storymirror Infotech Pvt Ltd
Publication Date:
Aug 22, 2023
Number of pages:
180 pages
Binding:
Paperback or Softback
ISBN-10:
811944518X
ISBN-13:
9788119445189