Sikkhon Ke Dus Guru (सिक्खों के दस गुरु)

Diamond Pocket Books Pvt Ltd
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9788171823024
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ISBN13:
9788171823024
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भारतवर्ष में गुरु और शिष्य की परंपरा बहुत प्राचीन है। गुरु का स्थान परमेस्वर से भी ऊँचा मन गया है। गुरु के द्वारा ही व्यक्ति को सांसारिक ज्ञान प्राप्त होता है और गुरु के द्वारा ही उसे इस ज्ञान का बोध होता है कि किस प्रकार परमेस्वर को प्राप्त किया जा सके। सिक्खो के प्रथम गुरु नानक देव से लेकर दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी तक का काल हिन्दू- सभ्यता का उत्पीड़न काल था। एक और मुस्लिम आक्रांता हमारी प्राचीन सभ्यता को नस्ट करने में लगे हुए थे तो दुस्तरी और हिन्दू- समाज अवतारवाद देव पूजा मूर्ति पूजा कर्मकांड जाती- पति एंव छुवाछूत जैसी बुरायिओं में लिप्त हो रहा था। ऐसे में सिक्ख गुरुओं के प्रकटन से समाज में भय और निराशा का वातावरण समाप्त हुआ गुरुओं के उपदेशों ने अर्धमृत हिन्दू जाती में नये प्राण फूंक दिये ।


  • | Author: Gurpreet Prof Singh
  • | Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd
  • | Publication Date: Mar 11, 2025
  • | Number of Pages: 00138 pages
  • | Binding: Paperback or Softback
  • | ISBN-10: 8171823025
  • | ISBN-13: 9788171823024
Author:
Gurpreet Prof Singh
Publisher:
Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Publication Date:
Mar 11, 2025
Number of pages:
00138 pages
Binding:
Paperback or Softback
ISBN-10:
8171823025
ISBN-13:
9788171823024