जरा सोच के बताना
Pencil (One Point Six Technologies Pvt Ltd)
ISBN13:
9789356673519
$15.38
ये कवितायें ऐसे समय में लिखी गयी है जब लगता है कि का सोच-विचार की क्षमता क्षीण सी गयी है।विज्ञानपन को सूचना समझा जा रहा है,सूचना को ज्ञान । सवालों से बच कर लोग भागे जा रहे है।बिना सोचे ही कुछ भी को फालो कर रहे है। यदि सवाल हुआ भी तो पूर्व निश्चित जबाब है। इसलिए जरा सोच कर बताना ? कहने की जरूरत महसूस हो रही है। इसके पूर्व मेरा काव्यसंग्रह "लोकतंत्र और नदी, "लोकतंत्र और रेलगाड़ी 2018 मे प्रकाशित हो चुके हैं,इसी क्रम में तीसरा काव्यसंग्रह "जरा सोच के बताना" प्रस्तुत है।जिसमें देश, दुनियाँ,समाज की विद्रूपताओं के प्रति सवाल है,जिन्हे भारतीय संस्कृति रचे-बसे प्रतीको के माध्यम से उठाया गया है।संभव है किसी को ये कंकड़ जैसे लगे क्योंकि कंकड़ उतनी हो चोट करते है,जिससे तंद्रा टूट सके। मेरी कोशिश समाज, व्यक्ति की तंद्रा तोड़ने की ही है ।
- | Author: अचल पु
- | Publisher: Pencil (One Point Six Technologies Pvt Ltd)
- | Publication Date: Jul 15, 2023
- | Number of Pages: 80 pages
- | Binding: Paperback or Softback
- | ISBN-10: 9356673519
- | ISBN-13: 9789356673519
- Author:
- अ
- Publisher:
- Pencil (One Point Six Technologies Pvt Ltd)
- Publication Date:
- Jul 15, 2023
- Number of pages:
- 80 pages
- Binding:
- Paperback or Softback
- ISBN-10:
- 9356673519
- ISBN-13:
- 9789356673519