Agar Jungle Rahenge (Gazal Sangrah): अगर जंगल रहेंगे (ग़ज़&#23 - (Paperback or Softback)

Diamond Pocket Books Pvt Ltd
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9789363185647
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ISBN13:
9789363185647
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यह मेरा सातवाँ ग़ज़ल संग्रह है। इससे पहले 2001-2022 के मध्य 'शंख सीपी रेत पानी', 'मैं नदी की सोचता हूँ', 'पहाड़ों से समंदर तक', 'शिखरों के सोपान', 'ज्योति जगाये बैठे हैं' तथा 'मनसा वाचा' संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही 'चयनित ग़ज़लें 'और 'प्रतिनिधि ग़ज़लें' नामक दो संकलन भी आ चुके हैं। यानी छः सौ के करीब ग़ज़लें प्रकाशित हो चुकी हैं। बावजूद इसके ग़ज़ल कहने की प्यास जैसे हमेशा बनी ही रहती है। लेकिन बीच-बीच में लिखने का यह क्रम तब टूटता है जब गद्य पर काम करने का दबाव ज्यादा बढ़ जाता है और ये स्थितियाँ बीच- बीच में आती ही रहती हैं। परंतु इस संग्रह में शामिल ग़ज़लें अप्रैल से जुलाई 2024 के बीच की हैं, जो एक ही प्रवाह के रूप में हर दूसरे- तीसरे दिन मेरे भीतर उतरती रही हैं। इन ग़ज़लों में मैंने अपने आप का अलग तरह का विस्तार और परिष्कार अनुभव किया है। इसलिए पूर्व की अप्रकाशित ग़ज़लों के बजाय इन ग़ज़लों को साझा करने का मन हुआ।आशा है, संग्रह की ग़ज़लें आपकी चेतना और आपके चिंतन को नई ऊँचाइयों का संस्पर्श कराने में सहायक बनेंगी।


  • | Author: Kamlesh Bhatt Kamal
  • | Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd
  • | Publication Date: Jan 16, 2025
  • | Number of Pages: 00114 pages
  • | Binding: Paperback or Softback
  • | ISBN-10: 9363185648
  • | ISBN-13: 9789363185647
Author:
Kamlesh Bhatt Kamal
Publisher:
Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Publication Date:
Jan 16, 2025
Number of pages:
00114 pages
Binding:
Paperback or Softback
ISBN-10:
9363185648
ISBN-13:
9789363185647