मोह-मोह के धागे किताब में शब्दों का वह संसार है जो प्रेम, करुणा और संवेदनाओं के सागर से निकली है। वैसे तो ऐसा कोई दिल नहीं, जिसमें प्रेम और करुणा की भावनाएं हिलोरें न लेती हों। शब्दों की यह दुनिया गांव की पगडंडियों से सुदूर अमेरिका-साइबेरिया तक फैली है। इसमें मां का ममत्व है तो प्रेयसी का प्यार भी। इसमें यार-दोस्तों की चुहलबाजी है और शाश्वत बहते समय की सीख भी। इसमें भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झीलों में से एक सांभर लेक में देश की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी का शाब्दिक चित्रण भी है। जो एक लंबी कविता के रूप में मेहमान परिंदों-फ्लेमिंगो का शोक गीत बन गया है।